सत्संग महिमा
‘‘वास्तव में सत्संग वह है-- जिसमें परमप्रभु
परमेश्वर को प्राप्त करके उसी परमेश्वरमय-उसी
परमात्मामय होते-रहते हुए हम उसके सदासर्वदा
सानिध्य में रहें; सच्चा सत्संग तो वही है। सच्चा
सत्संग वही है -- परमप्रभु को प्राप्त करें, जानें-देखें,
जाँच-परखकर पहचान हो जाने पर, सत्य ही हो जाने
पर भक्ति-सेवा हेतु सदा ही - सर्वदा ही उसके सानिध्य
में होवें और रहें । वास्तव में सच्चा सत्संग यही है ।’’
कलियुगीन पूर्णावतार
सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस