परमप्रभु की है ये वाणी
परमप्रभु की है ये वाणी जल्दी ही सतयुग आएगा ।
सतपुरुषों का राज्य बनेगा, पापी नहीं बच पाएगा ।
पापियों कान खोलकर सुन लो, पापियों कान खोलकर सुन लो ।
पाप छोड.कर धर्म पकड. लो, तभी तू बचने पाएगा, सत्पुरुषों का . . .
धर्मयुद्ध का बिगुल बज गया नहीं चलेगी मनमानी ।
कुरूक्षेत्र अब बनेगी धरती, नहीं बचेंगे अभिमानी ।
सत्य की डोरी जो पकड.ेगा वही यहाँ रह पाएगा । सत्पुरुषों का . . .
असत्य-सत्य के बीच हो रहा है, इस धरती पर युद्ध महान ।
प्रभु शरण में आना होगा, जो चाहे अपना कल्याण ।
पापियों कान खोलकर सुन लो, पापियों कान खोलकर सुन लो ।
पाप छोड.कर धर्म पकड. लो, तभी तू बचने पाएगा, सत्पुरुषों का. . . .
कलियुग की रात गई, सत्युग शुरुआत भई,
भक्तों के भाग्य अब जागे ही जागे ।
सोऽहँ कोई ज्ञान नहीं, ढोंगी भगवान् नहीं,
पापियों के संग पाप जागे ही जागे रे भाई, पापियों के संग पाप जागे ही जागे ।
कहता हूँ मान लो, सत्य को जान लो,
श्री सदानन्द प्रभु वाला ‘तत्त्वज्ञान’ जान लो ।
कण-कण में भगवान् नहीं, घट-घट में भगवान् नहीं
सदानन्द प्रभु वाले ज्ञान से देखो रे भाई, सदानन्द प्रभु वाले ज्ञान से जानों।
अब भी अगर नहीं जानेगा,अब भी अगर नहीं देखेगा, तो पीछे पछताएगा।
सत्पुरुषों का राज्य बनेगा पापी नहीं बच पाएगा ।
परमप्रभु की है ये वाणी जल्दी ही सत्युग आएगा ।
सत्पुरुषों का राज्य बनेगा, पापी नहीं बच पाएगा ।